Tuesday, August 2, 2011
{ Poem} ए जिंदगी तुझे कुछ ऐसा ही समझा !
किन सपनों को तलाशे,
जिसे अधखुले आँखों ने कभी आने ही ना दिया !
या जिन्हें नींद के सौतेलेपन ने,
आने से पहले तोड़ दिया !
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और तब देखेगा ये आसमां !
Honto pe ek muskaan hi
The Host of the Air
The Apple Tree
Men improve with the Years
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