Thursday, April 28, 2011

{ Poem } मैं पूछता रहा उससे के

मैं पूछता रहा उससे के दरिया-ऐ-हयात गहरा तो नहीं
जूँ न रेंगी उसके कानो पे, नाखुदा कहीं बेहरा तो नहीं?

गहराई वाली जगहों पे दरिया में हलचल कम होती है