Tuesday, November 23, 2010
{ POEM } इन दरख्तों से आती आवाजों के पीछे
इन दरख्तों से आती आवाजों के पीछे, कहीं कोई पिन्हा कहानी तो होगी
गौर दे कर कभी खामोशी को सुनिये, कहीं कोई लुटती जवानी तो होगी
अब सियासत को रुसवा रियाया
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आज वक़्त भी नही संग हमारे
The Daffodils
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Hum dosti ka farz,
Pyaara dost,
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