Wednesday, October 27, 2010

{ Poem } कभी ख़ुद पे, कभी हालात पे रोना आया

कभी ख़ुद पे, कभी हालात पे रोना आया

बात निकली तो हर एक बात पे रोना आया !

हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को