Wednesday, September 8, 2010
{ Poem } अब तुम्हे खुद मानकर हम पूजा करेंगे
अब तुम्हे खुद मानकर हम पूजा करेंगे
सोचते हैं जब जाओगे तब क्या करेंगे
अब तलक था योग आँखों का मन का
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वो मंजिल भी मैं पाउँगा, रहे यह जोश बरसता
The Lady of Shallot a poem by Alfred Lord Tennyson...
Loving You... Needing You... Wanting You..
Woh jo puchti hai mujhse.......!!
Yehi hai zindagi ............!!
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